दिनांक 13 से 15 मार्च तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) नागपुर में हो रही है । इस प्रतिनिधि सभा में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के अलावा संघ विचार धारा से चलने वाले विविध संगठनों के भी स्वयंसेवक प्रतिनिधि, संघ की क्षेत्र कार्यकारिणी और प्रांत कार्यकारिणी (संघ की दृष्टि से पुरे भारत वर्ष को 11 क्षेत्र और 41 प्रांत में विभाजित किया गया है), चुने गए अखिल भारतीय प्रतिनिधि एवं विश्व विभाग के चुने हुए कार्यकर्ताओं के अलावा सभी विभाग प्रचारक आमंत्रित सदस्य के रूप में वर्ष में एक बार भाग लेते हैं । प्रत्येक 3 वर्ष में एक बार मा. सरकार्यवाह का चुनाव होता है इस दृष्टि से भी इस बार की बैठक को महत्वपुर्ण माना जा रहा है । इस बैठक में संघ और विविध संगठनों के प्रतिनिधि अपने-अपने संगठनों की गतिविधि का वर्तमान स्वरूप सभी प्रतिनिधियों के सामने बताते हैं, इसके साथ ही बैठक में देश की वर्तमान परिस्थितियों के बारे में भी विचार विमर्श किया जाता है ।
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अब प्रश्न उठता है की संघ की बैठक में इस प्रकार के चिंतन का देश हित में क्या परिणाम होगा । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है की संघ कुछ नही करेगा और स्वयंसेवक कुछ नही छोडेगा । संघ केवल स्वयंसेवक तैयार करेगा जो कि केवल अपने स्वयं के हित का विचार न करते हुए देश हित में जीवन जीने का व्यवहार प्रदर्शित करेगा । आज हम यह देखते हैं की व्यक्तिगत जीवन में तो व्यक्ति स्वार्थ से वसीभूत होकर दूसरे को त्याग करने का उपदेश दे रहा है । ऐसे समय में देश हित का जीवन जीने वाले लोग अगर कुछ सकारात्मक विचार करते हैंं तो उस पर समाज का विश्वास अधिक और शीघ्र होता है । वर्ष 2013 की बैठक में संघ ने सरकार को सुझाव दिया था कि ' बंगलादेश और पाकिस्तान के उत्पीडित हिंदुओं की समस्याओं का निराकरण करें ' वैसे हि वर्ष 2012 की बैठक में ' राष्ट्रीय जल-नीति प्रारूप-2012 पर पुनर्विचार आवश्यक ' ऐसा प्रस्ताव पारित कर जन हित में सरकार पर दबाव बनाने का कार्य किया था । हम कह सकते हैं कि तत्कालीन केंद्र सरकार संघ के दबाव में राष्ट्रीय जल-नीति प्रारूप-2012 सदन में पारित नही करा सकी ।
इस बैठक में लगभग 1400 प्रतिनिधि की उपस्थिति अपने आप में सरकार से हटकर एक अलग संसद है जो की राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र नीति का विचार करती है । इतनी बडी संख्या में कार्यकर्ता जब एक साथ जुटते हैं तो उनके उत्साह में वृद्धि होती है, बाहरी वातावरण चुंकि स्वार्थ से वसीभूत है वैसी स्थिति में त्याग का स्वयं का आचरण बनाये रखने में भी इस प्रकार के सम्मेलन का लाभ होता है । देश की विडम्बना यही है की जो लोग आज शारीरिक, बौद्धिक या आर्थिक रूप से ज्यादा समृद्ध हैं वैसे ही लोग स्वार्थ से भी वसीभूत हैं जिसके चलते नीति निर्धारक, व्यवहार में जनहित को हि दांव पर लगाते दिखते हैं । देश हित तथा जनता का हित ही इस बैठक की सर्वोच्च प्राथमिकता है । आये हुए प्रतिनिधियों का दृष्टिकोण व्यापक बनाना भी इस बैठक का उद्देश्य है जिससे प्रतिनिधि अपने कार्यक्षेत्र में जाकर व्यापक उद्देश्य के आधार पर जन जागरण के कार्यक्रम चला सके ।