Saturday, April 4, 2015

आबादी के अनुसार तुलना करने पर ज़िला के सीमांकन में दिखने वाली विसंगतियां




भारत वर्ष के राज्यों के भोगौलिक ढांचे को जनगणना 2011 के आंकडों के संदर्भ में देखने से जिला के निर्धारण में  विसंगतियां ध्यान में आती हैं । हम देखते हैं की पुरे देश के 29 राज्यों, 6 केंद्र शासित प्रदेशों  और 1 (  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ), मिलाकर कुल 675 जिले वर्तमान में हैं जिन्हें जनगणना 2011 के कुल आबादी से हिसाब करने पर एक जिले की औसत आबादी 17 लाख 92 हजार 8 सौ 79 होती है । जबकि पश्चिम बंगाल राज्य में कुल जिले 19 हैं और वहां की कुल आबादी 9 करोड 13 लाख 47 हजार 7 सौ 36 है, यानि औसतन 48 लाख आबादी पर एक जिला । अगर राष्ट्रीय औसत से हिसाब लगाया जाए तो पश्चिम बंगाल  में जिलों की कुल संख्या 51 होनी चाहिए । इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में 13 के स्थान पर 28, तेलंगाना में 10 के स्थान पर 20, महाराष्ट्र में 36 के स्थान पर 63, बिहार में 38 के स्थान पर 58, उत्तर प्रदेश में 75 के स्थान पर 111, केरल में 14 के स्थान पर 19, तमिलनाडु में 32 के स्थान पर 40, राजस्थान में 33 के स्थान पर 38, और कर्नाटक में 30 के स्थान पर 34 जिले होने चाहिये । 

देश के कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां राष्ट्रीय औसत से कम जनसंख्या होते हुए भी उसे जिला घोषित कर दिया गया । ऐसे राज्य हैं मध्य प्रदेश, उडिसा, झारख़ंड, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ, उत्तराखंड, गोवा, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मु और काश्मीर, पुर्वोत्तर के 7 राज्य और सभी केंद्र शासित प्रदेश । ऐसे तो जिन राज्यों में राष्ट्रीय औसत से अधिक आबादी वाले जिले हैं उनमें भी कुछ जिले कम आबादी वाले हैं और जिन राज्यों में राष्ट्रीय औसत से कम आबादी वाले जिले हैं उनमें भी कुछ जिले अधिक आबादी वाले हैं । 

आंकडों को नीचे चार्ट में दर्शाया गया है :-





उपरोक्त आंकडों को देख कर विसंगतियों को समझा जा सकता है । यह माना जा सकता है कि केवल आबादी के आधार पर जिले की सीमाएं तय नही की जा सकती उसके लिए भौगोलिक क्षेत्र की बनावट, वहां की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा, जलवायु, आदि अन्य परिस्थिती,  जैसे पहलुओं पर भी विचार किया जाता है । किंतु यह भी सत्य है की जब जिले की घोषणा हो जाती हैं तो उस जिले में विद्युत, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात व्यवस्था, न्यायालय, आदि कुछ मौलिक सुविधाओं में बढोतरी के तरफ सरकार का ध्यान स्वाभाविक बढ जाता है । जिससे नागरिकों को गुणवत्तायुक्त सुविधा मिलने से उनके बहुत से कष्टों का निवारण हो सकता है ।