आराम से संघ कार्य होगा - यह भूल
प्रातः 6 बजे सभी गटनायकों को बुलाया गया था। संख्या 500 थी। 20-25 मिनट
के भाशण में श्री गुरुजी ने कहा कि, ‘स्वयंसेवक देरी से आये, इसलिये कार्यक्रम देरी से षुरु
हो रहा है। सुस्ती, ढिलाई जीवन को षोभा देने वाली बातें हैं क्या? आराम से काम करने
से क्या होगा?’
‘‘अपने गट के स्वयंसेवकों से असीम स्नेह से मित्रता प्रस्थापित करके ही उनके
जीवन में परिवर्तन लाना और उन्हें मार्गदर्षन करना आपको संभव होगा। उनसे दूर रह कर
यह कैसे हो सकेगा? कोई व्यक्ति बड़े उँचे मकान पर खड़ा रह कर, सड़क पर चल रहे
लोगों को देखें तो उसे लगेगा कि बहुत से लोग लक्ष्यहीन होकर घूम रहे हैं। न जाने उनके
पाँव कहाँ पड़ते हैं और वे किधर देखते हैं। इतने दूर से देखकर उनका मार्गदर्षन करना तो
असंभव ही है।’’ ‘‘मजे से, आराम से, संघ का काम कर पाने की कल्पना बन गई हो, तो
यह भूल होगी।’’
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