झारखण्ड के विधानसभा सीटों की संख्या पर पुनर्विचार - एक विश्लेषण
वर्ष 2011 कि जनगणना के आंकड़ों के अनुसार प्रति विधानसभा सीट पर आबादी कि दृष्टि से झारखण्ड देश में तीसरा ऐसा राज्य है जहाँ तुलनात्मक रूप से अधिक आबादी के आधार पर विधानसभा क्षेत्र निर्धारित है । जहाँ 4,95,239 जनसंख्या पर उत्तर प्रदेश में एक विधानसभा सीट निर्धारित है वहीँ 4,27,180 आबादी पर बिहार में एक विधानसभा क्षेत्र है। झारखण्ड तुलनात्मक दृष्टि से तीसरा राज्य है जहाँ कि प्रति विधानसभा सीटों पर जनसंख्या का अनुपात 4,06,991 है। घटते क्रम में महाराष्ट्र , राजस्थान , गुजरात, म. प्रदेश , प. बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उडिसा , छत्तीसगढ़ , हरियाणा , कर्नाटक , असम , दिल्ली, केरल , पंजाब के राज्य हैं । पंजाब में प्रति विधानसभा सीट जनसंख्या मात्र 2,36,788 है । झारखण्ड राज्य में वर्तमान में 81 विधानसभा सीट हैं । अगर पंजाब राज्य की प्रति विधानसभा सीट की जनसंख्या के अनुपात में झारखण्ड में सीटों का निर्धारण किया जाए तो यह संख्या 139 होनी चाहिए । इसी प्रकार झारखण्ड की कुल विधानसभा सीटों की संख्या केरल और दिल्ली के आबादी अनुपात में 138, असम के अनुसार 133, कर्नाटक के अनुसार 121, हरियाणा के अनुसार 117, छतीसगढ़ और उड़ीसा के अनुसार 116, आंध्र प्रदेश के अनुसार 115, तमिलनाडु के अनुसार 107, प. बंगाल के अनुसार 106, मध्य प्रदेश के अनुसार 104, गुजरात के अनुसार 99, राजस्थान के अनुसार 96 , महाराष्ट्र के अनुसार 84 होनी चाहिए । पर झारखण्ड राज्य से तेजी से हो रहे पलायन को रोकने के लिए केंद्र सरकार को ध्यान है कि नहीं ये कहा नहीं जा सकता क्योंकि विकास कि कार्यवाही में राज्य के नेताओं के द्वारा लिए गए नीति निर्णयों की अहम भूमिका होती है । ऐसे में राज्य को विधानसभा में उचित प्रतिनिधित्व के अभाव में कहीं न कहीं राज्य का विकास बाधित होता दिखाई देता है ।
उपरोक्त आंकड़ों से ज्ञात होता है कि झारखण्ड में जनप्रतिनिधियों को उचित संख्या में निर्धारित नहीं किये जाने के कारण हि यहाँ कि जनता को अपनी बात जनप्रतिनिधियों तक पहुँचाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और साधारण समाज कि पहुँच जनप्रतिनिधियों तक नहीं हो पा रही है ।
Somehow data represents why Jharkhand, Bihar and UP are least developed state. >4 Lakh population per assembly constituency
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