Tuesday, October 28, 2014

संघ के स्वयंसेवक और प्रचारक बनने के दो महत्वपुर्ण क्षण

बात  1982 की है जब मै  कोयरी टोला प्राथमिक विद्यालय,  रामग़ढ कैंट में कक्षा  5 का छात्र था । रामगढ में ही गांधी स्मारक उच्च विद्यालय के प्रांगण मे प्रभात शाखा लगती थी जिसमें अच्छी संख्या में तरुण, बाल, शिशु स्वयंसेवकों की उपस्थिति रहती थी । शाखा पर मस्ती भरे खेल के आयोजन के साथ  व्यायाम, योगासन, सूर्यनमस्कार आदि शारीरिक एवं गीत, चर्चा, बोधकथा आदि बौद्धिक कार्यक्रम होते थे । पांच भाइयों में से मेरा क्रम अंत का यानि सबसे छोटा है। मेरे मंझले भैया भी नियमित रूप से शाखा जाया करते थे । उन्ही के साथ-साथ मै भी संघ शाखा पर जाने लगा । मेरे पिताजी भी नियमित रूप से मुझे जगा दिया करते थे जिससे मै सही समय पर शाखा पर पहुंच सकू । प्रारम्भ मे मेरे उपर कोई दायित्व नही था और शाखा पर किसी प्रवासी कार्यकर्ता ने मेरे से पुछा कि आपपर क्या दायित्व है तो मैंने कहा कि 'गण शिक्षक' तब मंडल मे बैठे सभी अन्य स्वयंसेवक हंसने लगे । इसपर मुझे बहुत ग्लानि हुई और मै दायित्व लेकर काम करने के लिये उत्सुक हो गया ।
थोडा छोड-छोडकर संघ में मेरी सक्रियता नियमित बनी रही । 1991 में प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग -हजारीबाग में, 1993 में द्वितीय वर्ष- धनबाद- टुंडी में, करके 1996 में तृतीय वर्ष करते समय पुजनीय रज्जु भैया के साथ ऐसे कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई जो आगे चलकर संघ के पुर्णकालिक प्रचारक के रूप में समय देंगे । मै भी उस बैठक में भाग लिया और वहाँ से लौटकर  दक्षिण बिहार प्रांत के प्रथम वर्ष के वर्ग में लोहरदगा के पास नवडीहा में  10 दिन शिक्षक की भूमिका में रहा । वर्ग के बाद प्रचारक विस्तारक बैठक में मुझे गढवा का तहसील विस्तारक बनाया गया । शायद  गढवा में संघ कार्य के लिए ईश्वर मेरे साथ नही थे । मै वहाँ केवल डेढ माह रहा और घर लौट आया । 1994 में वाणिज्य विषय से रामगढ महाविद्यालय से स्नातक करके मै व्यवसाय में भी लगा रहा था सो गढवा से लौटकर मै पुन: व्यवसाय में लग गया ।

1997 के फरवरी माह में संघ की रांची जिले की ( संघ की दृष्टि से रामगढ उस समय रांची जिले मे ही था ) बैठक मारवाडी धर्मशाला, रामगढ में आयोजित थी ज़िला कार्यवाह जगभरत जी ने मुझे बैठक की व्यवस्था का दायित्व सौंपा और बिना पुर्व सुचना के बैठक में भी बैठने का आग्रह किया । उसी बैठक में मुझे रामग़ढ के नगर कार्यवाह का दायित्व दिया गया।

1998 में धुर्वा, रांची में संघ शिक्षा वर्ग में मै शिक्षक के नाते गया था वहीं से मै पुन: प्रचारक के रूप में ( धनबाद के नगर विस्तारक के नाते ) संघ का पुर्णकालिक निकला । तब से अभी तक कुछ अवकाश लेकर अपनी लौकिक शिक्षा का विस्तार भी किया। लोक प्रशासन विषय से IGNOU  से स्नातकोत्तर और रांची विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान विषय से एम.फिल भी किया । गिरिडीह के ज़िला प्रचारक, 3 स्थान पर विभाग प्रचारक रहने के बाद झारखंड प्रांत प्रचार प्रमुख और वर्तमान में सह प्रांत प्रचार प्रमुख , दक्षिण बिहार के नाते अभी भी कार्य में लगा हुं। 

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