Wednesday, December 17, 2014

मिडिया का वर्तमान स्वरूप तथा राष्ट्रीय भावना के निर्माण में उसकी भूमिका

 भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार सूचना विभाग के अंतर्गत गवेषणा, संदर्भ और प्रशिक्षण प्रभाग ( Research, Reference & Training Division ), प्रकाशन विभाग ( Publication Division ), गीत व नाटक प्रभाग ( Song & Drama Division ), भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय ( Registrar Of Newspaper For India ), पत्र सूचना कार्यालय ( Press Information Bureau ), भारतीय प्रेस परिषद ( Press Council Of India ), भारतीय जन संचार संस्थान ( Indian Institute Of Mass Communication ), फोटो प्रभाग ( Photo Division ), विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय ( Directorate of Advertising & Visual Publicity ), क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय ( Directorate of Field Publicity ), भारतीय सूचना सेवा ( Indian Information Service ), तथा न्यू मीडिया विंग ( New Media Wing ) काम कर रहे हैं । साथ ही प्रसारण विभाग के अंतर्गत काम करने वाली संस्थायें - प्रसारण इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड ( Broadcasting Engineering Consultants India Limited ), इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर ( Electronic Media Monitoring Centre ), प्रसार भारती ( Prasar Bharti ),  इसके अलावा फिल्म जगत के--- फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण ( Film Certification Appellate Tribunal ), भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान ( Film and Television Institute of India ), सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ( Satyajit Ray Film and Television Institute ), चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी, भारत ( Children's Film Society, India ), फिल्म प्रभाग ( Films Division ), फिल्म समारोह निदेशालय ( Directorate of Film Festivals ),  राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय ( National Film Archives of India ), केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ( Central Board of Film Certification ), भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ( International Film Festival of India ), राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम ( National Film Development Corporation ) संस्थान भी सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ही अंतर्गत है । 
भारत सरकार द्वारा उपरोक्त सभी विभागों की योजना निश्चित रूप से मिडिया के ही हिस्से हैं या उसकी व्यवस्था को सुचारु ढंग से चलाने के लिए स्थापित किए गए हैं, जो की भारतवर्ष में एक विशाल स्वरूप धारण किये हुए हैं । इन सब के अलावा भी निजी तौर पर विभिन्न प्रकार के दबाव समूह या आपसी मेल-जोल वृद्धि हेतु भी बहुत से संगठनों का निर्माण हुआ है जो की मिडिया की विशालता को और बढाता है । 
भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2014 को लगभग एक लाख प्रकाशन पंजिकृत हैं जिनके द्वारा लगभग 45 करोड 6 लाख प्रति (वर्ष 2013-14 में) प्रत्येक पंजिकृत पत्र-पत्रिका की प्रकाशित हो रही है । इसके साथ ही लगभग 800 टीवी चेनेल, आकाशवाणी के अलावा लगभग 250-300 एफ.एम. रेडियो स्टेशन से विभिन्न भाषा में कार्यक्रमों का भारतवर्ष में प्रसारण किया जा रहा है । आंकडो में अगर प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक या इंटरनेट मिडिया की पुरी जानकारी देने का प्रयास करें तो शायद इसके लिए बहुत बडा स्थान लेख में देना होगा जो कि यहाँ बहुत आवश्यक नही समझता हूँ । 
मिडिया  जनता को समाज में हो रही घटना की जानकारी उपलब्ध कराता है साथ ही लोगों के मन में संवेदना या निष्ठुरता के भाव का निर्माण करता है । लोगों का मनोरंजन करता है तो ज्ञान का भंडार भी इसमें समाहित है ।मिडिया ही है जो नई पीढी में (छोटे-छोटे बच्चों में, युवाओं में) आज वृहद गति से विकास ला रहा है । मिडिया जन मानस में कुछ नकारात्मक बातों को भी परोस रहा है जो की जन भावनाओं को गलत दिशा में ले जा रहा है । यह बात सही है की इस प्रकार के जन संचार माध्यम को खडा करने में व्यापारिक दृष्टि से बहुत बडी पुंजी का निवेश करना होता है और यदि रियल स्टेट की तरह अगर हम इससे लाभ प्राप्त करने की अपेक्षा करें तो आज के दौर में वही होगा जो आज मिडिया के बंधु कर रहें हैं । जो मिडिया समाज को एक नई दिशा दे सकता है वही समाज को उजाड भी सकता है इस चिंतन को ध्यान में रखते हुए अगर मिडिया में कार्यरत बंधु सेवा भाव से काम करें तो देश को विश्व पटल पर ऊंचे स्थान पर ले जाने में यह अहम भूमिका निभा सकता है । छोटी-छोटी बातों की तरफ इंगित न करते हुए यह कहना उचित समझता हूँ कि मिडिया क्षेत्र में कार्यरत बंधु स्व-विवेक से जब सकारात्मक विचार करेंगे और केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से ही विचार नही करेंगे तब यह कहा जा सकेगा की इस देश में मिडिया में नए युग की शुरुआत हुई है । विदेश से जो पुंजी निवेश किए बंधु हैं वो भी विश्व बंधुत्व को अगर स्थापित करना चाहते हैं तो केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से संचार क्षेत्र में कार्य ना करें क्योकि कहा है 'एकं विसर्सो हन्ति शस्त्रे ने कश्च वद्यते स राष्ट्रं स प्रजं हन्ति राजानं मंत्र विप्लवः'
विष पीने से कोई एक व्यक्ति मारा जाता है, शस्त्र के प्रहार से भी कोई एक हि व्यक्ति की मृत्यु होती है किन्तु वैचारिक भ्रांति होने पर राजा एवं प्रजा के सहित सम्पुर्ण राष्ट्र का विनाश सम्भव है । 

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